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डायबीटिज के मरीजों के साथ समस्या होती है कि उन्हें अपनी डाइट और ब्लड शुगर हमेशा मेंटेन करके रखना पड़ता है जो कि सबसे मुश्किल काम होता है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं हो पाता। ऐसे में आपको सकेंडरी उपाय भी अपनाने पड़ते हैं जिससे आपका ब्लड शुगर कम रहे। ऐसे में करेले का जूस बेस्ट रहता है। लेकिन करेले का जूस हर कोई नहीं पी सकता। ऐसे में दूसरी चीजें वो अपना सकते हैं।
लेकिन दूसरी चीजों में क्या? दूसरे ऑप्शन खोजने वालों के लिए खुशखबरी है क्योंकि उनके लिए दूसरा ऑप्शन मतलब दूसरी चीजें खोज ली गई हैं। दूसरे ऑप्शन के तौर पर आप ग्रीन टी और काफी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीन टी और कॉफी डायबीटिज की जटिलताओं से लड़ने में मदद करते हैं। ब्राजील की कम्पीनास स्टेट यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया है कि ये दो चीजें डायबीटिज़ के कॉम्पलीकेशन को कम करने में मदद करते हैं। दोनों ही चीजों में पॉलीफेनॉल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-फ्लेमेटरी का काम करते हैं।


किडनी कॉम्पलीकेशन में फायदेमंद

रिसर्च में ये पाया गाया है कि ग्रीन टी और कॉफी में पाए जाने वाला पॉलीफेनॉल्स पोडोसाइट्स को मरने से रोकता है। ये सेल्स एल्बिनम को यूरीन में बदलने से रोकता है। एल्बिनम एक प्रोटीन है जो खून में पाया जाता है जिसे किडनी फिल्टर्ड करती है। जब किडनी सामान्य रुप से काम करती है तो एल्बिनम की छोटी सी मात्रा यूरीन में बदलती है। 

गौरतलब है कि डायबीटिक मरीज को किडनी की प्रोबल्म अधिक होती है जिससे वो सामान्य रुप से फंक्शन नहीं करता और एल्बिनम की अधिक मात्रा यूरीन में बदलती है जिस कारण डायबीटिज के मरीज को अधिक यूरीन आता है। यह स्थिति एल्बुमिनुरिया कहलाती है। ऐसे में ये आसानी से समझा जा सकता है कि ग्रीन टी और कॉफी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स पोडोसाइट्स को मरने से रोकते हैं जिससे यूरीन की समस्या नहीं होती।

हृदय के लिए भी फायदेमंद

कॉफी में थियोब्रोमीन होते हैं जो कि एक अल्कालॉयड है। ये हृदय और नर्वस सिस्टम को संतुलित रखता है औऱ वॉसोडिलेटर और डाईयूरेटिक की तरह काम करता है। वहीं ग्रनी टी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट हृदय संबंधित रोगों से रक्षा करता है। 

लेकिन अगर इनके प्रयोग के बाद भी मधुमेह में शुगर का स्‍तर सामान्‍य नहीं हो रहा है तो एक बार चिकित्‍सक से जरूर संपर्क करें।

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